मुझपर किरपा करो तुम हे शिरडी के साई

अपनाया न किसी ने किसको दू मैं दुहाई,
मुझपर किरपा करो तुम हे शिरडी के साई,

मालिक है इक सबका क्या हिन्दू सिख मुसलमान,
चरणों में आ गये जो सब ने ये सीख पाई,
मुझपर किरपा करो तुम हे शिरडी के साई,

दर पर तुम्हारे साई कब पड़ा हुआ हु,
दूसा दुख का मारा देने तुम्हे सफाई,
मुझपर किरपा करो तुम हे शिरडी के साई,

अपरम्पार है माया अब क्या बताऊ बाबा,
राज ये समझ न पाया इतनी अक्ल न आयी,
मुझपर किरपा करो तुम हे शिरडी के साई,
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