देवो मे है देव निराला लीला अप्रम पार

शीश निभाती जिसको दुनिया करती जय जय कार,
देवो मे है देव निराला लीला अप्रम पार,
वो है श्याम धनि सरकार मेरा श्याम धनि सरकार,

श्रीकर में है मंदिर पावन खाटू धाम कहलाये,
लाखो सवाली आते है यह पर श्याम की ज्योत जलाये,
नाच रहे है सब भगति में पाकर ख़ुशी अपार,
कोई कहे हारे का सहारा कोई लखदातर,
वो है श्याम धनि सरकार मेरा श्याम धनि सरकार,

गल वैजन्ती माल विराजे मोरछड़ी लहराये,
जिसका झाड़ा लग जाए तो पल में दुःख मिट जाए,
किये करिश्मे मोर छड़ी ने जाने सब संसार,
कोई कहे हारे का सहारा कोई लखदातर,
वो है श्याम धनि सरकार मेरा श्याम धनि सरकार,

श्याम कुंड में जो भी नहाते पाप सभी कट जाते,
फागुन मेला लगता भारी दर्श भक्त जन पाते ,
लीले वाले के नाम की शक्ति है बड़ी अपार,
कोई कहे हारे का सहारा कोई लखदातर,
वो है श्याम धनि सरकार मेरा श्याम धनि सरकार,
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