Menu
×
प्रथम पन्ना
home
कृष्ण भजन
krishna bhajans
शिव भजन
shiv bhajans
हनुमान भजन
hanuman bhajans
साईं भजन
sai bhajans
जैन भजन
jain bhajans
दुर्गा भजन
durga bhajans
गणेश भजन
ganesh bhajans
राम भजन
raam bhajans
गुरुदेव भजन
gurudev bhajans
विविध भजन
miscellaneous bhajans
विष्णु भजन
vishnu bhajans
बाबा बालक नाथ भजन
baba balak nath bhajans
देश भक्ति भजन
patriotic bhajans
खाटू श्याम भजन
khatu shaym bhajans
रानी सती दादी भजन
rani sati dadi bhajans
बावा लाल दयाल भजन
bawa lal dayal bhajans
शनि देव भजन
shani dev bhajans
आज का भजन
bhajan of the day
भजन जोड़ें
add bhajans
Get it on Google Play Join Bhajan Ganga Whatsapp channel



Currently you are visiting mobile version. Click http://www.bhajanganga.com/ for full version
सच्चे मन से भक्त जो भी नाकोड़ा जायेगा

तर्ज - चढता सूरज धीरे धीरे ढलता है

( हुये नाकोड़ा में, चमत्कार कैसे कैसे,
हुआ इस तीर्थ का जीर्णोद्वार जैसे जैसे॥ )

सच्चे मन से नाकोड़ा भक्त जो भी जायेगा,
पार्श्व भैरव के दर्शन पाकर, भव सागर तर जायेगा,
तर जायेगा, तर जायेगा.....

श्री नाकोड़ा तीर्थ की, ये अमिट कहानी है,
राजस्थान की धरती, ये बड़ी सुहानी है,
अरावली पर्वत में, तीर्थ बड़ा प्यारा है,
नाकोड़ा नाम जिसका, ये जग से न्यारा है,
लूणी नदी के समीप,  नाकोड़ा एक ढाणी है,
पार्श्व प्रभु प्रगट हुए, पूर्वजो की वाणी है,
एक जैन संत का हुआ, इस ढाणी में जब आना,
प्रेरणा करी  मूर्ति की, प्रतिस्ठा है करवाना,
वीरम सेन की नगरी, मेवानगर में लाये,
अरावली पर्वत के बीच, प्रतिस्ठा है करवाये,
सानिध्य मिला जिनका, कीर्ति रत्न सागर नाम था,
ढाणी के नाम से ही -बना नाकोड़ा ये धाम था,
तीर्थंकर तेविसवे - प्रभु पार्श्व यहाँ विराजे है,
मूर्ति मनोहारी ज्यो  - नभ में चन्दा साजे है,
इस तीर्थ की....
इस तीर्थ की यश गाथा को, कोई मिटा न पायेगा,
धीरे धीरे तीर्थ, जीणोद्धार होता जायेगा,
पार्श्व भैरव के दर्शन पाकर, भव सागर तर जायेगा,
तर जायेगा, तर जायेगा.....

समय आगे बढ़ रहा था, तीर्थ नष्ठ होने लगा,
नास्तिकों के कारण, आस्तित्व अपना खोने लगा,
उस घोर अंधकार में, एक ज्योत जली आशा की,
रात ढलने वाली थी, फिर तो वो निराशा की,
साध्वी श्री सूंदर श्री जी, इस तीर्थ में आये,
जीणोद्धार हो फिर से, मन मे भाव ये आये,
साथ मे थे गुरुभ्राता, हिमाचल सूरी राया,
इस पुनीत कार्य मे, संघ भी आगे आया,
एक दिन पाट पर, बैठे हिमाचल सुरिवर,
एक बालक प्रकट हुआ, पड़ी जो उस पर नज़र,
पास आकर गुरुवर के, बालक ये कहने लगा,
नाम मेरा भैरव है, मुझको भी दो कही जगह,
बालक से बोले गुरुवर, एक शर्त माननी होगी,
रक्षा इस तीर्थ की, भैरव तुम्हे करनी होगी,
जो आज्ञा आपकी होगी, सब मुझे मंजूर है,
इस तीर्थ से मुझे कभी, होना नही दूर है,
शीश से धड़ तक, की मेरी प्यारी मूर्ति हो,
जैसलमेर का पत्थर हो, जिसमे खूब सुर्ती हो,
इतना कहा बालक ने, हुआ वहां से गायब,
सोच रहे गुरुदेव ये, वाक्या था बड़ा ही गजब,
भीम जी से पत्थर मंगाया, हिमाचल सुरीराज ने,
खीम जी ने मूर्ति बनाई, दी शाबाशी गुरुराज ने,
प्रतिस्ठा हुई.....
प्रतिस्ठा हुई भैरव देव की, कोई भूल न पायेगा,
माध शुक्ला तेरस का दिन ये जब भी आयेगा,
पार्श्व भैरव के दर्शन पाकर, भव सागर तर जायेगा,
तर जायेगा, तर जायेगा......

पार्श्व प्रभु की सेवा में, हाजरा हजूर है,
नाकोड़ा के भैरव देव, जग में ये मशहूर है,
पार्श्व भैरव का धाम, ये साँचा दरबार है,
रोज नये नये होते, यँहा चमत्कार है,
एक बार जो भी आता, नाकोड़ा धाम में,
चार चांद लग जाते, भक्तो उसके नाम मे,
नाकोड़ा, परिवार गुलावड, की ये तमन्ना है,
जब तक है सांसे तन में, नाकोड़ा जाना है,
राजीव, ऋषभ की मोहित एक यही अर्जी है,
दिलबर आगे पार्श्व, भैरव की जो मर्जी है,
नागेश कमलेश भी....
नागेश जो भी भक्ति रूपी, गंगा में डूब जायेगा,
मन को धोकर, पार्श्व भैरव जी की कृपा पायेगा,
पार्श्व भैरव के दर्शन पाकर, भव सागर तर जायेगा,
तर जायेगा, तर जायेगा.....

श्रेणी
download bhajan lyrics (446 downloads)

Similar Bhajans