है हमने प्यार वो पाया, जो दुनिया पा नहीं सकती,
मगर कैसे कहे उसको जुबा भी गा नहीं सकती,
है हमने प्यार वो पाया......
नहीं ये दे हमे दुनिया में ना दौलत के मिलता है,
रूहानी प्यार बन रूहो की मुस्कानो में खिलता है,
इस की तुलना किसी से भी कभी की जा नहीं सकती,
है हमने प्यार वो पाया....
मचलती हूरो की महफ़िल फ़रिश्ते भी तरसते है,
जिसे पाने लिए इतने अनेको कष्ट सह्ते है,
बिना प्रभु के दिए दौलत ये पाई जा नहीं सकती,
है हमने प्यार वो पाया....
ये जाने पुण्य है कब का ये किस तप का है परताये,
हमारे बैठ कर सन्मुख हमारे रोज गुण गाये,
ये खुभी है उसकी जो ब्यान किये जा नहीं सकती,
है हमने प्यार वो पाया....