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अमृत बरसे माता रानी के द्वार

अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार,
माता रानी के द्वार आंबे रानी के द्वार,
अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार…..

माई के भवन में अमृत बरसे माई के भवन में अमृत बरसे,
माई के भवन में अमृत बरसे माई के भवन में अमृत बरसे…….

नही जाना नही जाना दरबार से खाली नही जाना,
नही जाना नही जाना दरबार से खाली नही जाना………

इस अमृत में भक्त ध्यानु होक मस्त नहाया,
अंतर मन के खुल गए द्वारे निर्मल हो गई काया,
माँ की धुन में खो कर उस ने दुनिया को बिसराया,
माई ज्वाला के चरणों में अपना शीश चढ़ाया,
अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार……

माई के भवन में अमृत बरसे माई के भवन में अमृत बरसे,
माई के भवन में अमृत बरसे माई के भवन में अमृत बरसे...

पाना है पाना है दरबार से सब कुछ पाना है,
पाना है पाना है दरबार से सब कुछ पाना है…

इस अमृत का श्री धर ने भी पिया प्रेम प्याला,
रोम रोम में फिर गई उसके माँ के नाम की माला,
कन्या रूप में वैष्णो माँ का हुआ जो दर्श निराला,
नाच पड़ा वो भक्ति रस में हो कर के मत वाला,
अमृत बरसे बरसे जी चिंता हरनी के द्वार…..

माई के भवन में अमृत बरसे माई के भवन में अमृत बरसे,
माई के भवन में अमृत बरसे माई के भवन में अमृत बरसे……

ले जाएंगे मन की मुरादे ले जाएंगे ले जाएंगे मन की मुरादे ले जाएंगे,
ले जाएंगे मन की मुरादे ले जाएंगे ले जाएंगे मन की मुरादे ले जाएंगे…….

इस अमृत के दो चार छीटे जिन भगतो पे बरसे,
वो जन्मो की प्यास बुजा गए प्यासे फिर न तरसे,
मन चाहे फल पाए उन्हों ने महा दाती के दर से,
मैया उनकी बनी ख्वाईया हो गे पार भवर से,
अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार…….

अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार,
अमृत बरसे बरसे जी नैना देवी के द्वार मनसा देवी के द्वार…..

नही जाना नही जाना दरबार से खाली नही जाना,
नही जाना नही जाना दरबार से खाली नही जाना……..

पाना है पाना है दरबार से सब कुछ पाना है,
पाना है पाना है दरबार से सब कुछ पाना है……

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