सजा मेरे घर दरबार माँ

चुन्नी तेरी चमके, चमके हार माँ,
मारे लिश्कारे शृंगार माँ,
आई होके शेर पे सवार तू,
सज़ा मेरे घर दरबार माँ,
ना हो ये जागरण ख़त्म,
मैं नाचू जाऊ छम छम छम......

माँ तेरा दीदार हुआ,
सपना ये साकार हुआ,
किरपा तूने की है बड़ी,
पलकों में छुपा ली है,
साँसों में बसा ली है,
माँ हमने ये शुभ घड़ी,
आज ना रुकेंगे ये कदम,
तो नाचू जाऊ छम छम छम......

खुल गए नसीब मेरे,
तू है माँ करीब मेरे,
और मुझे क्या चाहिए,
सर पे तेरा हाथ रहे,
तू माँ सदा साथ रहे,
इतनी सी दया चाहिए,
चरणों में तेरे माथा जुकाऊं,
बोलो जयकारे भेटें सुनाऊ,
हो करू लख बारी सत्कार माँ,
तूने बरसाया बड़ा प्यार माँ,
आई होके शेर पे सवार तू,
सज़ा मेरे घर दरबार माँ,
ना हो ये रौनके कम,  
मैं नाचू जाऊ छम छम छम......
छम छम छम...........
सब नाचे आज छम छम छम...........
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