पर्वत पे मंदिर निराला है धाम मियां का सब से आला है,
सब की बिगड़ी बनाने को मियां मेरी,
पुरना जी माँ पुरना जी पहाड़ो से चल कर के भगतो के घर आएगी,
मैया की महिमा निराली भर्ती है झोली सबकी खाली,
दर्शन को जो भी है आता मन चाहा फल वो है पाता
सब की बिगड़ी बनाने को मियां मेरी,
पुरना जी माँ पुरना जी पहाड़ो से चल कर के भगतो के घर आएगी,
तनगपुर धाम जो भी जाता है शरधा नदी में वो नहाता है,
दर्शन करके मियां का सारे कष्टों को भूल जाता है,
सब की बिगड़ी बनाने को मियां मेरी,
पुरना जी माँ पुरना जी पहाड़ो से चल कर के भगतो के घर आएगी,