mathura me jakar manmohan tum murli bajana bhool gaye
मथुरा में जाकर मनमोहन तुम मुरली बजाना भूल गये
मुरली का बाजना भूल गये गाऊऔ का चराना भूल गये
क्या याद नही मोहन तुमको गोकुल में माटी का खाना
सखियों के घर में जाकर के ग्वालो संग माखन चुराना
माखन है आज भी मटकी में तुम गोकुल आना भूल गये
मथुरा........
क्या याद नहीं मोहन तुमको मैय्या का लाड़ लडाना वो
नित प्रति सवेरे उठकर के, माखन मिश्री का ख़िलाना वो
मैय्या आस लगाये बैठी है तुम भोग लगाना भूल गये
मथुरा.......
क्या याद नही मोहन तुमको पनघट पर सखियों का आना
बस एक ही झलक दिखा करके वो कदम्ब के पीछे छिप जाना
सखियाँ तो आज भी आती है तुम पनघट आना भूल गये
मथुरा.........
क्या याद नहीं मोहन तुमको राधा संग रास रचाना वो
मधुबन में भानु दुलारी को बंसी की तान सुनाना वो
वो तो नयन बिछाये बैठी है तुम मधुबन आना भूल गये
मथुरा.......