राधा बोली सुनो श्याम मैं , बंशी बजाऊँ आज

राधा बोली सुनो श्याम मैं , बंशी बजाऊँ आज
बंशी की धुन पे कान्हाँ , तुम्हे मैं नचाऊँ आज,

साँवरिया तुम बंशी रोज बजाते हो
बजाके बंशी मुझको रोज नचाते हो 
इस रिवाज को चलो श्याम मैं ,
नया बनाऊँ आज...हाँ कान्हाँ नया बनाऊँ आज

चलो श्याम हम नई रास में रंग जायें 
सारी दुनियाँ देख अचम्भित रह जाये
मन करता है अलबेला , 
इतिहास रचाऊँ आज...मैं इतिहास रचाऊँ आज

इतना कह कर राधा बंशी बजा उठी
कहे " रवि " वो साँवरिया को नचा उठी
बंशी बोली राधा तुमपे , 
वारी जाऊँ आज...हे राधे वारी जाऊँ आज

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