कलयुग में एक बार कन्हैया,
ग्वाले बनकर आओ रै,
आज पुकार करे तेरी गैया,
आके कंठ लगाओ रै।
कलयुग में एक बार कन्हैया,
ग्वाले बनकर आओ रै,
ग्वाले बनकर आओ रे।
जिसको मैंने दूध पिलाया,
वो ही आज सताते हैं,
चीर फाड़ कर मेरे बेटे,
मेरा माँस भी खाते हैं,
अपनों के अभिशाप से मुझको,
आके आज बचाओ रै,
कलयुग में एक बार कन्हैया,
ग्वाले बनकर आओ रै,
ग्वाले बनकर आओ रे।
काहे हमको, मूक बनाया,
घुट घुट कर यूँ मरने को,
उस पर हाथ दिए ना तुमने,
अपनी रक्षा करने को,
भटक गए ए मेरे मालिक,
रस्ता आज दिखाओ ना,
कलयुग में एक बार कन्हैया,
ग्वाले बनकर आओ रै,
ग्वाले बनकर आओ रे।
एक तरफ तो मेरे बछड़े,
अन्न धन को उपजाते हैं,
उसी अन्न को खाने वाले,
मेरा वध करवाते हैं,
हर्ष जरा तुम आके वध पे,
आके रोक लगाओ रै,
कलयुग में एक बार कन्हैया,
ग्वाले बनकर आओ रै,
ग्वाले बनकर आओ रे