तरज- कनहीया लै चल परली पार
आशा लेकर आया हूँ मैं,
आज तेरे दरबार
सावरीआ रख लो सेवादार
शयाम जी रख लो सेवादार .......,|
आठो पहिर मै तेरे दर पर
थका ना तेरी सेवा कर कर
बाहगा मे तेरे मोती जड़ कर
सोहने लगोगे सज संवर कर
फूलो की मै माला पिरो कर ,करुं तेरा सिगार
सावरीआ रख लो सेवादार
श्याम जी रख लो सेवादार............|
अपना तुझ को मान लिया है
मन ही मन मै ठान लिया है
करने तेरा गुणगाण मैं बैठी
मान तुझे भगवान लिया है
तेरे चरणो की बन जाऊँ दासी, छोड़ कुटुबं परिवार
सावरीआ रख लो सेवादार
शयाम जी रख लो सेवादार .........|
लालच मुझेको कोई नहीं है
तेरे बिन मेरा कोई नहीं हैं
मुरादे पुरी होती यही हैं
तेरे दर कोई रोई नही हैं
मतलब के सब रिश्ते नाते मतलब का संसार
सावरीआ रख लो सेवादार
शयाम जी रख लो सेवादार .............|
खाटु शयाम जी अरज करी मै
हाथ जोड़ कर दर पे खड़ी मैं
आसुओ की जो भैट चड़ी है
या मेरे लिऐ तो बहुत बड़ी हैं
जसपाल जनाल की विनती बाबा, करनी हो स्वीकार
सावरीआ रख लो सेवादार
श्याम जी रख लो सेवादार ........
Lyricist - JASPAL JANAL 8699406500