माँ जब जब नवरात्रे आते है,
बड़े प्रेम से तुमको बुलाती हु
दरवाजे खड़ी में रोज रोज,
माँ बाट तुम्हारी निहारती हु
माँ कैसे रस्ता भूल गई में ध्यान लगाए रहती हूँ....
धनवान तेरे दर आते माँ बड़ी बड़ी भेट चढ़ाते है
कोई भर भर थाल मानते है कोई चुनरी लाल ओढाते है
में भजन सुनाके मनाऊ माँ तेरी आस लगाए बैठी हूँ,
जीवन में बड़ा अंधकार है माँ ना कोई राह सूझती है
तेरी बेटी भटके दर दर माँ देहलीज़ ना कोई दीखती है
अब आके धीर बंधा जा माँ झोली फैलाये बैठी हूँ।