दाई शीतल शीतल शीतला

तोरे जस ल गावंव वो, महिमा सुनावंव वो,
अंतस भीतरी वो दाई, तोला सोरियाँवव॥

दाई शीतल शीतल शीतल, जगजननी बिमला ,
तोरे जस ल गावंव वो,,,

जईसे लइका लोहरी लेके, मया लपटाए वो,
अंचरा के छईहां पाके, कइसे मुसुकाये वो।
महतारी के तन के गोरस, पेट भर पाये वो,
अंतस के सगरो आसा, छीन म सिराये वो॥

तोरे कतको रूप हे ना, जगजननी बिमला ,
घेरी बेरी जावंव वो, माथ ल नवावंव वो..
अंतस भीतरी वो दाई, तोला सोरियाँवव॥

जुरियाये नर अउ नारी, बइठे तोर दुआरी वो,
निछमल छईहां दे दे, मया दे दुलारी वो।
कतको तोर जस ल गाके, तरगे महतारी वो,
सुनले बिनती ल हमरो, नहकादे पारी वो॥

करौं निसदिन सुमिरन ना, जगजननी बिमला,
पान फूल लावंव वो, चरन म चघावंव वो..
अंतस भीतरी वो दाई, तोला सोरियाँवव॥

आनी बानी जीव जगत म, दाईं गुन गाये वो,
चारो मुड़ा सोर उड़त हे, जय हो महामाये वो॥
बनके गंगा महारानी, जग भर ल तारे वो,
पोथी लिख बाढ़े महिमा, पार नई पाये वो॥

गौतम ल तार देबे ना, जगजननी बिमला ,
बली बली जावंव वो, हिरदे ल जुड़ावंव वो..
अंतस भीतरी वो दाई, तोला सोरियाँवव॥
तोरे जस ल गावंव वो....


गायक - दिवेश साहू (7415990599)
रचनाकार - गौतम गुरुजी
संगीत - सेवक राम यादव
श्री जय माँ चंडी भजन मंडली लाखे नगर गांधीनगर रायपुर (छ. ग)

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