दुखियो के दुखड़े मिटने सोये सोये भाग जगाने,
बैठी खोल के दया के भण्डार माँ जैसा कोई नहीं,
सिफ़त करे संसार माँ जैसा कोई नहीं,
कोई जपे माँ काली की पूजे महाजावाला,
माता चिंतापुरनी ने सब चिंता को टाला,
तारणहार के रूप है हज़ार माँ जैसा कोई नहीं,
बैठी खोल के दया के भण्डार
झपोडी से बंगला हो कंगला हो साहूकार,
वो भी सोउ निरोगी काया माँ की माया है अपार,
वो ही मिलता जैसी हो दरकार,माँ जैसा कोई नहीं
बैठी खोल के दया के भण्डार
झूठी दुनिया को छोड़ मन चरणों से जोड़,
लाखो तर गये लखा न कोई कमी न कोई थोड़,
कहे कमला सरल वार वार माँ जैसा कोई नहीं
बैठी खोल के दया के भण्डार