मैनु चढ़ गई चढ़ गई मस्ती सतगुरु दे नाम दी,
इस मस्ती विच द्वे सुनाई मुरली एह्दे निशाम दी,
मैनु चढ़ गई चढ़ गई मस्ती सतगुरु दे नाम दी,
जो भी इस मस्ती दे रंगा विच रच गे गुरु दे द्वारे उते झूम झूम नच्दे,
एह आ मस्ती जिस विच रच के मीरा हो गई श्याम दी,
मैनु चढ़ गई चढ़ गई मस्ती सतगुरु दे नाम दी,
जिह्ना नु लोर इस मस्ती दी चढ़ गई,
ोहना दी ता बाह सतगुरु ने फड़ ली
लोड नहीं फिर रह जांदी जग दे ऐश आराम दी,
मैनु चढ़ गई चढ़ गई मस्ती सतगुरु दे नाम दी,
तरसेम गुरा दे मलंग जो भी बन गये,
धीरज दे वांगु कर रहा प्रशन गये,
चढ़ के जो न फेर उतर दी ओह मस्ती इस जाम दी,
मैनु चढ़ गई चढ़ गई मस्ती सतगुरु दे नाम दी,