करू वंदन हे शिव नंदन तेरे चरणों की धूल है चन्दन,
तेरी जय हो जय गजानन जी तेरी जय हो ग़ज़ानन जी
विद्यां अमंगल तेरी किरपा से मिट ते है गजराज जी,
विषय विनायक भुधि विद्याता श्री गणपति गजराज जी,
जब भी मन से करू अभिनन्दन अंतर मन हो जाए पावन,
तेरी जय हो जय गजानन जी ....
रिद्धि सीधी के संग तिहारो सोहे मूसे सवारी,
शुभ और लाभ के संग पधारो भक्तन के हिट कारी,
काटो कलेश कला के बंधन हे लम्बोदर हे जग बंधन,
तेरी जय हो जय गजानन जी ....
देवो में है प्रथम पूजे हे इक दंत शुभ कारी,
वंदन करे है देविंदर उमा सूत पर जाओ बलिहारी ,
करता कुलदीप महिमा मदन बदल बिगने सुमिरन ,
तेरी जय हो जय गजानन जी ....