घाटे वाले ने अंगना में पलन झुलाया,
अंगना में पलन झुलाया,
ऐसी दया करि बाबा ने भज गए ढोल नगाड़े,
घर गुण और अगड़ परोसा होये गुंड के लाडे,
घाटे वाले ने अंगना में पलन झुलाया,
जगसा जगनि और वधाई गावन लगी लुगाई,
घाटे वाले की किरपा से फूली नहीं समाई,
घाटे वाले ने अंगना में पलन झुलाया,
स्व मणि का रोट लगाया देखु लाल लंगोटा,
बाबा के मन गढ़वा रहता चांदी का एक सोटा,
घाटे वाले ने अंगना में पलन झुलाया,
अशोक भगत पे हाथ धरा और हो गए वारे न्यारे,
सारी रात तेरा होया जगराता सब ने नरिंदर गावे,
घाटे वाले ने अंगना में पलन झुलाया,