युग युग जीवे मेरे सतगुर प्यारे तू,
हर हाल विच मेरे काज सवारे तू,
गुण अवगुण मेरे कदी भी न परखे,
लाज हमेशा रखी जावा तेरे सदके,
रेहमता दी दिति दाता सदा ही सहारे तू,
हर हाल विच मेरे काज सवारे तू,
सुख विच दुःख विच अंग संग रहा तू,
सारे छड़ गये तावी छड़ के न गया तू,
मित्र प्यारेया दे सोहने रूपधारे तू,
हर हाल विच मेरे काज सवारे तू,
टूटे हुए तारियाँ नु शन तू बनाना है,
सब कुछ जान के भी भोला बन जाना है ,
लखा डूब जान जो की लाये ने किनारे तू,
हर हाल विच मेरे काज सवारे तू,
साहिला दे लेखा विच लिखियाँ तू रेहमता,
दुरो लंग जांदिया ने मुश्किला मुसीब्ता,
सीने लाके रखे सदा अपने दुलारे तू,
हर हाल विच मेरे काज सवारे तू,