साढ़े नैना विच गुरूजी का रूप बसेया नैन खोला किवे,
नैन खोला किवे॥
साढ़े नैनो में गुरूजी का रूप बसेया,
नैन खोल दिते लोकि मैनु पुछदे,
किथों लभ्या लाल कुझ दस दे,,
एहना सुन के मैं पलका न होर कसया
नैन खोला किवे,
साढ़े नैनो में गुरूजी का रूप बसेया,
रूप रब दा तू जग विच आ गया,
तीना लोका विच धुमा ओ पा गया,
शुबहा सुन के ते धरती अम्बर हास्या,
नैन खोला किवे,
साढ़े नैनो में गुरूजी का रूप बसेया,
तेरे नाम ने ही जग न तारीया,
जिथे नाम लिश्कारा तेरे मारियाँ,
ओथो पला च हनेरा सारा गया नसया,
नैन खोला किवे॥
साढ़े नैनो में गुरूजी का रूप बसेया,