राम शरण में ले चालूं मेरी पूछ पकड़ ले रे,
राजा रावण अपनी मूछ थोड़ी नीची कर के रे ।
राजा हो कर चोरी सीखी, इज्जत करदी ख़ाक,
भूल गयो के तेरी बहन की लक्षमण काटी नाक ।
थोड़ा दिन की बात है रावण खूब अकड़ ले रे
राजा रावण अपनी मूछ थोड़ी नीची कर के रे ॥
सीता माता ने हर लायो करके धोखा बाजी,
बाली से तू लुकतो डोले किथे गयी रंग बाजी ।
बच न सकेगा रावण जितना पाँव पटक ले रे,
राजा रावण अपनी मूछ थोड़ी नीची कर के रे ॥
बनवारी कछु साधू मारेआ होयो बड़ो बलवान,
रिश्तेदारां से मिलने बस कुछ दिन का महमान ।
रावण क्यों बेमौत मरे मेरी बात समझ ले रे,
राजा रावण अपनी मूछ थोड़ी नीची कर के रे ॥