कीवे व्यान करा सतगुरु तेरी महिमा अप्रम पार

कीवे व्यान करा सतगुरु तेरी महिमा अप्रम पार,
जग ते तोड्या शीशे वांगु तू लाया सीने नाल,
कीवे व्यान करा सतगुरु तेरी महिमा अप्रम पार,

उस बगियाँ दा कुल सी मैं जिथे बोर कदे न आई,
नजर गुरा दी पई जदो ते आप बहारा आई,
चंगे माडे दा ज्ञान देके मैनु किता वेडा पार,
सतिगुरु मेरा हीरे वरगा किवे सिफ़्ता करा व्यान,
कीवे व्यान करा सतगुरु तेरी महिमा अप्रम पार,

औखे वेले कोई भी मेरे सखा न नेड़े आया,
तद मैं गुरु दे चरनी बह के अपना हाल सुनाया,
पुंज के हंजुवन सतिगुरु मेरे जीवन दा दिता सार,
ोहड़ ले भगति चादर वांगु ते मैनु रख ले नाल,
कीवे व्यान करा सतगुरु तेरी महिमा अप्रम पार,

लोकि अपना देखा जानन दर दर ठोकर खांदे,
गुरु दसे जो राह चले ओ किस्मत अपनी बणांदे,
पापा दी मेरी गठरी दा ऐवे किता हल्का भार,
मन चमकाया तू दर्पण वरगा मीठी वाणी नाल,
कीवे व्यान करा सतगुरु तेरी महिमा अप्रम पार,

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