भोले क्या अद्द्भुत नज़ारा तेरे कैलाशो पे है ।
देव देखन आ गए सब तेरे कैलाशो पे है ॥
संग पार्वती विराजे है,
गोदी गणपति साजे है ,
बैठे है शिव अविनाशी देव देखन आ गए -२
भोले क्या अद्द्भुत नज़ारा तेरे कैलाशो पे है ॥
जटा में गंगा साजे है,
मस्तक चंदा सोहे है,
गले में नागो की है माला देव देखन आ गए -२
भोले क्या अद्द्भुत नज़ारा तेरे कैलाशो पे है ॥
यक्ष रक्ष भैरव है डोलत,
नंदी भृंगी नृत्य करत,
बोले वनवासी जहाँ पे देव देखन आ गए -२
भोले क्या अद्द्भुत नज़ारा तेरे कैलाशो पे है ॥
कोयल शब्द सुनावत सुन्दर,
भ्रमर करत है गूंजा सी,
कामधेनु करत दुग्ध वर्षा देव देखन आ गए -२
भोले क्या अद्द्भुत नज़ारा तेरे कैलाशो पे है।
देव देखन आ गए सब तेरे कैलाशो पे है ॥
‘कंचन ढोलक भजन’