प्रियकांत प्यारे की महिमा निराली दर पे जो आया लौटा न खाली,
दुनिया को देखु भुला श्याम का रंग चढ़ा चढ़ा रे,
प्रिय का रंग बड़ा प्यारा प्यारा आँखों में रहता है कान्त हमारा,
अब माया का पर्दा हटा श्याम का रंग चढ़ा,
दुनिया भुला के गम को मिटा ले मस्ती में आके झूम ले गा ले,
यही चलता रहे सिलसिला श्याम का रंग चढ़ा,
श्याम रंग जिसको चढ़ जाए होके दीवाना वृन्दावन आये,
गाके भक्ति के रंग को चढ़ा श्याम का रंग चढ़ा