सपने में मेरे सपने में तेरा दरबार आता है माँ,
हे भरोसा मेरा प्यार मुझको तेरा अब भुलाता है माँ,
कुछ दिन से मुझको सवेरे सवेरे,
होते है सपने में दर्शन माँ तेरे,
कभी तेरा भवन कभी तेरी गुफा कभी मुखड़ा तेरा,
मुस पूरा कर मेरा दिल लुभाता है माँ,
मंजूर अर्जी मेरी हो गई है,
लगता है मर्जी तेरी हो गई है,
शुकरियाँ शुकरियाँ माँ तेरा शुकरियाँ,
दर भुला ही लियाँ लो निभा ही लियाँ ये जो नाता है माँ,