अपने भगत से कितना मां प्यार करती है
रहती है पहाड़ो में पर ध्यान रखती है।
जब भी पुकारोगे मां दौड़ कर आये
चांदी का सिंहासन मां छोड़ कर आये
मझधार में हो नैया मां पार करती है
हम मांगते रहते वो भेजती रहती
भगतो की हालत को मां देखती रहती
भगतों की खाली झोली हर बार भरती है
कर्जा तुम्हारा मां कैसे उतरेंगे
मां तेरी सेवा में जीवन गुज़ारेंगे
गर्दन झुकी है मेरी आँखें बरसती है ।
अपने भगत से कितना मां प्यार करती है