सखी री मैंने सुध विसराई रे नैन लड़े बांके बिहारी से

सखी री मैंने सुध विसराई रे नैन लड़े बांके बिहारी से,
बांके बिहारी से बांके बिहारी से,
सखी री मैंने सुध विसराई रे नैन लड़े बांके बिहारी से,

इक दीना मैं गई वृन्दावन लड़ गए बाते नैना,
जा दिन तेहु देखो सजनी तब ते चैन परे न,
भूख लगे न प्यास लगे हुई जीवन खवारी रे,
सखी री मैंने सुध विसराई रे नैन लड़े बांके बिहारी से,

बरसी सी चितवन से छेला पेनी छुरी चलावे,
इक झलक में अपनी करजहत परदे में चिपजावे,
मंद मंद मुश्कानिया ने पागल कर डाली रे,
सखी री मैंने सुध विसराई रे नैन लड़े बांके बिहारी से,

नित फूलन बांग्ला में बैठे पीलो डारे पटका,
तेरी नजरे लट घुंघराली ये मोरे मन अटका,
श्याम सलोनी सूरत पे मैं तन मन वारि रे,
सखी री मैंने सुध विसराई रे नैन लड़े बांके बिहारी से,

शुकल दास के लाडले कान्हा अब तो टेर सुनो न,
प्राण निकल जाए न से मोकु दर्शन दो न,
दासियाँ बांकी यांकी पे जावे बलिहारी रे,
सखी री मैंने सुध विसराई रे नैन लड़े बांके बिहारी से,
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