अमुवा की ढाली पे पिंजरा टांगिया,
उड़ गे सोवा बचाया नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे,
गहरी गहरी नदियां नाव पुरानी,
डुबन लागि नाव बचाया नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे,
भाई और बंदु कुटम कबीलो,
बिगड़ी जो बात बनाया नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे,
कहत कबीर सुनो बाई साधु,
गुरु बिन ज्ञान पढ़ाया नहीं कोई रे ,
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे,