श्याम के दिल में उतर गई रे राधा की झान्झारियां,
राधा राधा पुकारे गिरधारी
नजर चुराके निहारे गिरधारी
श्याम के जादू चला गई रे
राधा की चुनरियाँ
श्याम के दिल में उतर गई रे
रहता खड़ा है पनघट डगर पे
राधा झुलाती अपने सिर पे
माखन से मुखड़ा भर गई रे
राधा मटकियाँ
श्याम के दिल में उतर गई रे
राधा की चाल पे मोर नाचते
सुन के कोयल का शोर नाचते
हिरदये में कर ये घर गई रे
राधा की नथुनिया
श्याम के दिल में उतर गई रे
मिश्री से मीठी राधा की बोली
भा गई कमल सिंह सूरत भोली
कुछ साल घनी सी विसर गई रे
राधा की उमरियां
श्याम के दिल में उतर गई रे