केशव माधव गोविन्द बोल

बोल हरी बोल हरी हरी हरी बोल
केशव माधव गोविन्द बोल

नाम प्रभु का है सुख कारी
पाप कटे गे शंन में भारी
कुंडी अपने मन की खोल
केशव माधव गोविन्द बोल

लख चोरासी में भरमाया
मुस्किल से ये नर तन पाया
मुर्ख बंदे नैना खोल
केशव माधव गोविन्द बोल

नरसी भगत की हुंडी तारी
बन गयो शावल शाह बनवारी
क्यों भटके घर घर में ढोल
केशव माधव गोविन्द बोल

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