दादा प्रेम के भुखे हैं

ना हीरो के हार, ना सोने के दरबार,
ना चांदी के श्रृंगार, दादा प्रेम के भुखे हैं ।
मन में सच्चा प्यार, और सीधा सा व्यवहार,
और अहम ना भटके पास, दादा प्रेम के भुखे हैं ॥

जो पुष्प ना पास तुम्हारे, वाणी को पुष्प बनालो,
पुष्पो का हार बनाकर, उनके चरणों में चढ़ा दो,
खुश होकर मेरे दादा, कर लेगा उन्हें स्वीकार ॥
ना हीरो के हार, ना सोने के दरबार,
ना चांदी के श्रृंगार, दादा प्रेम के भुखे हैं..

दादा की कृपा हो जाती, मिट्टी सोना बन जाती,
लोहा कंचन हो जाता, जो इनका आशीष पाता,
तु भजले, तु पा ले, मेरे दादा गुरु का प्यार ॥
ना हीरो के हार, ना सोने के दरबार,
ना चांदी के श्रृंगार, दादा प्रेम के भुखे हैं..

जो छल लेकर यहां आता, वो खुद ही छला रह जाता,
तेरी लीला अजब निराली, ये भक्त भी अर्ज लगाता,
मेरी गलती माफ करना, और लुटा दे अपना प्यार ॥
ना हीरो के हार, ना सोने के दरबार,
ना चांदी के श्रृंगार, दादा प्रेम के भुखे हैं..
श्रेणी
download bhajan lyrics (696 downloads)