गुण दोष से दृष्टि हटाकर

गुण दोष से दृष्टि हटाकर जग राम सियामय देखो
मन में विश्वास जगाकर जग राम सियामय देखो

है अनेक में एक का होना,जैसे आभूषण में सोना
इसीलिये समता का भाव जगाकर, जग राम सियामय देखो

वही दृश्य है,वही है द्रष्टा, वही सृष्टि है वही है सृष्टा
गुरु ग्यान का दीप जलाकर जग राम सियामय देखो

अपने अमित रूप प्रकटाये ,वही हैं छुपकर सामने आये,
सत्संग की गंग नहाकर जग राम सियामय देखो

जड़ चेतन सबका तन धारे,प्रगटे सीताराम हमारे
प्रभु प्रेम में अश्रु बहाकर,जग राम सियामय देखो

जन राजेश तजो मनमानी,सियाराम मय सब जग जानी
इसीलिये तुलसी की वाणी गाकर जग राम सियामय देखो...

श्रेणी
download bhajan lyrics (616 downloads)