ऐसी छवि है मेरे राम की,
ऐसी छवि है मेरे श्याम की,
एक कौशल्या का दुलारा,
दूजा यशोदा की आंखों का तारा,
ऐसी छवि मेरे राम की ॥
कभी बाणों को धनु पर चढ़ाते,
कभी बंसी की धुन पर नचाते,
कभी रघुवर कभी श्यामसुन्दर,
कभी गोपियों के चित्त को चुराते,
प्यारी राधा प्रिया श्याम की,
राम जी की सिया जानकी ॥
बेर जूठे कभी छिलके खाकर,
प्रिय सुदामा के तंदुल चबाकर,
अपने भक्तों का मान बढ़ाते,
अपनी सारी हदों को भुलाकर,
ऐसी लीला रचाएं राम जी,
ऐसी लीला दिखाएं श्याम जी,
ऐसी छवि मेरे राम की ॥
पाप को कर खत्म इस धरा से,
राम ने पापी रावण को मारा,
धर्म रक्षा के खातिर मही से,
श्याम प्यारे ने कंस संहारा,
ऐसी महिमा है रघुनाथ की,
ऐसी महिमा है यदुनाथ की ,
ऐसी छवि है मेरे राम की,
ऐसी छवि है मेरे श्याम की ॥