मुझको दिखाते हो आँख,
गुस्से में लाल करके लाल नाक,
मैं ये कहूँगी क्योंकि शोर यही है कान्हां,
तू माखन चोर है कान्हां....
तेरी हरकतों से है ना कोई अनजान,
मैया भी आदत तेरी गई है जान,
बंद कर दे तू ये,
अपनी शराफ़त दिखाना,
तू माखन चोर है कान्हां....
चुप चोरी तू सबके घर में घुस जाए,
बिना पूछे ही तू सब माखन है खाय,
पकड़ा जाय तो शुरू करे ये शर्माना,
तू माखन चोर है कान्हां,
मुझको दिखाते हो आँख,
गुस्से में लाल करके लाल नाक,
मैं ये कहूँगी क्योंकि शोर यही है कान्हां,
तू माखन चोर है कान्हां......