प्रीत की चादरिया ओड के सावरिया गउ भजन झूम झूम के,
तू मेरा मैं तेरा अपना यह प्यारा नाता,
तेरे दर्श को तरषु तू क्यों मुझको तरसाता,
याचक हूँ हे प्रभु तेरे दीदार का,
प्रीत की......
राधा तेरे वश में रहता है कान्हा तेरा,
तू ही उसे समझा दे ना माने कान्हा तेरा,
तुझ को तो है पता प्रेमी के हाल का,
प्रीत की......
एक प्राथना हम भी करते है गिरधारी,
भेष बदल मत आना मैं मूरख निपट अनाडी,
आँखों में छाया है पर्दा ये माया का,
प्रीत की......