तेरी पसंद की खीर कन्हिया क्यों तू नही है खाता,
कैसे सेहती होगी ये सब नखरे यशोदा माता,
इतर के जल से तुझे इसनान करवाऊ रेशमी वस्त्र पीताम्भर पहनाऊ
केश तेरे सवारू कन्हिया क्यों तू भाग जाता
कैसे सेहती होगी ये सब नखरे यशोदा माता,
चन्दन टिका माथे नैन काजल लगाऊ
दही माखन मिश्री का भोग लगाऊ
ग्वाल बाल संग खेलन को तू सुबह से शाम लगाता
कैसे सेहती होगी ये सब नखरे यशोदा माता,
श्याम भई अंधियारा छाया अब तक मेरा मोहन नही आया
राह तेरी निहारु कन्हिया क्यों तू मुझे तरसाता
कैसे सेहती होगी ये सब नखरे यशोदा माता,