मन के द्वारे खोल के दे दो अपने मो का दान रे,
कल की माया कौन जाने कब निकले ये प्राण रे,
खाली हाथ ही आए हाइन और खाली हाथ ही जाना है,
एक हरी का नाम पुकारो गर मुक्ति को पाना है,
छ्चोड़ दो पापी जीवन और छ्चोड़ो सारा अभिमान रे,
कल की माया कौन जाने कब निकले ये प्राण रे,
पूजे मंदिर और शिवाले हुए मगर हाइन सब बेकार,
मान है माया जाल में पूजा होगी कैसे आख़िरकार,
टन के सुख की खातिर इंसान बन गया शैतान रे,
कल की माया कौन जाने कब निकले ये प्राण रे,
सुंदर पवन नाम हरी का जिसने कंठ लगाया,
हरी पुष्प से सज़ा सज़ा के सुंदर हार बनाया,
भूल ना जाना मान मंदिर में गिरिधर का गुणगान रे,
कल की माया कौन जाने कब निकले ये प्राण रे,