शेरांवाली दे बिछुये सुनार गढ़ दे ।
हीरे मोती बड़े बेशुमार जड़ दे ।
मैं तो पहनाऊँ मइया के पाओं मैं ॥
मैं तो माँ के दर जाऊँगी,
खाली झोली भर लाऊंगी ।
करके दरश मैं तो तर जाऊंगी
लेके बिछुये मैं जाऊँ पहाड़ चढ़ के
मैं तो पहनाऊँ...
खन खन घुँघरू खन खन खनके,
पैरों में माँ के चम चम चमके ।
जैसे चन्दा सूरज चमके
थाम लो हाथ मइया एक बार बढ़के
मैं तो पहनाऊँ...
जो मइया के मन को भाए,
पैरो मैं मां के अजब सुहाए ।
दीपक मन मन्दिर मैं जगाये
इसमें श्रद्धा और सोने के तार जड़ दे
मैं तो पहनाऊँ...