मेरा श्याम बड़ा अलबेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला,
मेरा श्याम बड़ा अलबेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला.......
कभी गंगा के तीर,
कभी यमुना के तीर,
कभी गंगा के तीर,
कभी यमुना के तीर,
कभी सरयू में नहाये अकेला,
कभी सरयू में नहाये अकेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला,
मेरा श्याम बडा अलबेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला.......
कभी गोपियों के संग,
कभी ग्वालों के संग,
कभी गोपियों के संग,
कभी ग्वालों के संग,
कभी गउवे चराये अकेला,
कभी गउवे चराये अकेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला,
मेरा श्याम बडा अलबेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला.......
कभी भामा के संग,
कभी रुक्मण के संग,
कभी भामा के संग,
कभी रुक्मण के संग,
कभी राधा के संग अकेला,
कभी राधा के संग अकेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला,
मेरा श्याम बडा अलबेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला......
कभी सूरज के संग,
कभी चंदा के संग,
कभी सूरज के संग,
कभी चंदा के संग,
कभी तारो से खेले अकेला,
कभी तारो से खेले अकेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला,
मेरा श्याम बडा अलबेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला.......
कभी संतों के संग,
कभी भक्तों के संग,
कभी संतों के संग,
कभी भक्तों के संग,
कभी मस्ती में बैठा अकेला,
कभी मस्ती में बैठा अकेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला,
मेरा श्याम बडा अलबेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला,
मेरा श्याम बड़ा अलबेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला........