चाल गौरी फागनिये में दोनू खाटू चाला ऐ.
कोई झुक झुक धोक लगास्या ऐ बाबा के
थारे सागे खाटू चालू फागनिये में ढोला जी
कोई गठजोड़े सु जास्या जी बाबा के
चाल गौरी फागनिये में.......
दरजीड़े के जाकर नीसाण सीमालयोजी
कोई मंदिर सिखर चढ़ा स्या जी बाबा के
चाल गौरी फागनिये में..........
पंसारी के जाकर ढोला मेवा मिश्री ल्यावो जी
कोई जाकर धोक लगास्याजी बाबा के
चाल गौरी फागनिये में........
हलवाई से देसी घी का लड्डू थे बनवा लयो जी
कोई सवा मणि को भोग लगास्या जी बाबा के
चाल गौरी फागनिये में.......
सुनारा सु जाकर छतर थे ले आवो जी
कोई खाटू जाए चढ़ा स्या जी बाबा के
चाल गौरी फागनिये में....