हम बनभौरी वाले हैं

दोनों हाथ उठा के भई दोनों हाथ उठा के,
हम बनभौरी वाले हैं कहते घर घर ढोल बजा के.....

बनभौरी वाली मैया की हम तो शरण में रहते हैं,
अपने कुल की देवी है ये सीना थोक के कहते हैं,
दर पे शीश झुका के भई दर पे शीश झुका के,
हम बनभौरी वाले हैं कहते घर घर ढोल बजा के.....

सुनलो जिस पर भी कृपा मेरी मैया की हो जाती है,
उस घर की फिर सातों पीढ़ी बैठी मौज उड़ाती है,
झूम झूम कर गाते भई झूम झूम कर गाते,
हम बनभौरी वाले हैं कहते घर घर ढोल बजा के.....

सारी दुनिया में मेरी माँ के नाम का डंका बजता है,
मैया जी के नाम से सोनू अपना सिक्का चलता है,
माँ की ज्योत जला के भई माँ की ज्योत जला के,
हम बनभौरी वाले हैं कहते घर घर ढोल बजा के......

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