भोले बाबा सा नहीं कोई दानी

हर हर, हर हर महादेव, हर हर, हर हर महादेव,
जटा में सुन्दर गंग बिराजे, गले में सर्पो की माला,
आक धतूरा खाने और शिव ओढ़न को है मृग छाला,
भोले बाबा सा, नहीं कोई दयालू,
भोले बाबा सा, नहीं कोई दानी,
हर हर, हर हर महादेव, हर हर, हर हर महादेव....

दक्ष था जब अभिमान में आया,
शिव को यज्ञ में नहीं बुलाया,
उमा को देख सती होते,
शिव ने तीसरा नेत्र जगाया,
देवों ने तब की प्रार्थना,
शिव कृपा दृष्टि को टाला,
अर्धांगिनी की बिरहा में भी,
दक्ष राज जीवित कर डाला,
भोले बाबा सा, नहीं कोई दयालू,
भोले बाबा सा, नहीं कोई दानी,
हर हर, हर हर महादेव,
हर हर, हर हर महादेव.....

सोने की बनवाई लंका, पार्वती के कहने पे,
रावण को दे डाली लंका, गृह प्रवेश की दक्षिणा में,
भागीरथ को गंगा दे दी,
सब जग ने स्नान किया,
बड़े बड़े पापियों का तुमने,
पल भर में कल्याण किया,
भोले बाबा सा, नहीं कोई दयालू,
भोले बाबा सा, नहीं कोई दानी,
हर हर, हर हर महादेव,
हर हर, हर हर महादेव.....

हर प्राणी मन तूने जाना,
हर प्राणी मन पहचाना
सच्चे मन जो शरण आया,
जिसने जो माँगा वो पाया ,
कर्म काण्ड जिसके हो अच्छे,
सब कुछ तुमने उसे दिया,
अपने तन ना वस्त्र रखा,
तीनों लोक में बाँट दिया,
भोले बाबा सा नहीं कोई दयालु,
भोले बाबा सा नहीं कोई दानी,
हर हर हर महादेव हर हर हर महादेव....
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