सोहन महीना किन मिन, पैंदी ए बरसात,
दातिए अज्ज तेरी जगराते वाली रात,
दातिए अज्ज तेरी...
एहना सोहना भवन बनाया, विच दातिए तैनू बिठाया,
माँ तेरे चरणा विच बह के, करनी ए गलबात,
दातिए अज्ज तेरी जगराते वाली रात,
दातिए अज्ज तेरी...
श्रद्धा दे नाल कई है आये, माँ जिह्ना तेरे दर्शन पाए,
गिरी, शवारे, मेवा, मिश्री दे नाल भरी परात,
दातिए अज्ज तेरी जगराते वाली रात,
दातिए अज्ज तेरी...
लाल सिरा ते चुन्निया बन के, पाईये भंगड़े बन ठन के,
मसा मसा सानू दाती ने बक्शी ए सौगात,
दातिए अज्ज तेरी जगराते वाली रात,
दातिए अज्ज तेरी...
रोशन रम्बे वाला कहंदा, नाम जपा मैं उठ्दा बेहंदा,
विच ख़ुशी दे जग मग जग मग, करदी ए कायनात,
दातिए अज्ज तेरी जगराते वाली रात,
दातिए अज्ज तेरी...