यूं न जाओ छोड़कर,
है गणपति अपना घर,
तुम हो हमारे,
तुम हो हमारे सब कुछ देवा,
तुम को नहीं खबर.....
आये थे तुम खुशियां लेकर,
बरसाया था नूर यहां,
अभी-अभी तो मिलें थे हमसे,
अभी चले तुम दूर कहां....
कहां चले,
कहां चले हो भगवन बोलो,
मुंह हमसे मोड़कर …
यूं न जाओ छोड़कर,
है गणपति अपना घर,
तुम हो हमारे ,
तुम हो हमारे सब कुछ देवा,
तुम को नहीं खबर….
तुमसे घर में रौनक थी ,
लगता था सब नया-नया,
रोज त्यौहार सा रहता था,
खुशियों का था बंधा समा…..
भर आया,
भर आया दिल तुम जो चले,
हर नाता तोड़कर …
यूं न जाओ छोड़कर,
है गणपति अपना घर,
तुम हो हमारे,
तुम हो हमारे सब कुछ देवा,
तुम को नहीं खबर…….