दिया जो भी मालिक ने

मिला जो नहीं उसका मुझे ग़म नहीं है,
दिया जो भी मालिक ने वही कम नहीं है......

प्रभु ने बड़ा ही रहम है दिखाया,
शरण में बिठाया चरण से लगाया,
हालाँकि मुझसा कोई बेधरम नहीं है,
दिया जो भी मालिक ने वही कम नहीं है….

टूटा है दिल मेरा टूटे हैं सपने,
साज़िश में शामिल थे मेरे ही अपने,
प्रभु के सिवा अब कोई हमदम नहीं है,
दिया जो भी मालिक ने वही कम नहीं है…..

मुश्किल पड़ी तो रोने लगा था,
हैराँ परेशाँ मैं होने लगा था,
उन्हीं की कृपा से आँखें अब नम नहीं हैं,
दिया जो भी मालिक ने वही कम नहीं है….

पापी हूँ नालायक हूँ मैं मानता हूँ,
फिर भी सुनोगे मेरी मैं जानता हूँ,
ज़माने में मुझसा कोई बेशरम नहीं है,
दिया जो भी मालिक ने वही कम नहीं है…..

विश्वास मेरा थोड़ा डगमगा गया था,
“मोहित” नहीं हो मुझपे मन में आ गया था,
मन में मेरे कोई अब वहम नहीं है,
दिया जो भी मालिक ने वही कम नहीं है….
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