दरबार तो एक ही है सवाल सरकार का है,
खाटू नरेश का है नीले पे सवार का है,
क्यों भटके हज़ार जगह मन एक पे अटका ले,
इंकार नहीं करता कल पे भी नहीं ताले,
अभी मांग अभी लेजा दिल ये दिलदार का है,
दरबार तो एक ही है सवाल सरकार का है,
खाटू का श्याम धनि जब किरपा पार करे,
जो आया वो राजी गया पतझड़ में बहार करे,
यहाँ डेट मिले सबको मतलब नहीं हार का है,
दरबार तो एक ही है सवाल सरकार का है,
मन में विश्वाश लिए आ श्याम शरण आजा,
दुनिया की ना परवाह कर तू होक मगन आजा,
यहाँ वहा इधर क्या उधर रुकना वेकार का है,
दरबार तो एक ही है सवाल सरकार का है,
तू खोल जुबा प्यारे बाबा को पुकार तो ले,
आये गये जिस पथ से पलकों से वो बुहार तो ले,
इतना तो सरल समजो सौदा एक मार का है,
दरबार तो एक ही है सवाल सरकार का है,