अपने सूर्य स्वयं बन जाओ,
बुझ न सके वो चिराग़ जलाओ,
अपने सूर्य.....
तुम हो दिव्य शक्ति के स्वामी,
बनो अग्रणी नहीं अनुगामी,
अपने ही अनुभव के बल पर,
सृजन आधार बनाओ,
अपने सूर्य.....
चलो न मिटते पदचिन्हों पर,
रुको न विघ्नों बाधाओं पर,
नित्य नए आलोक रश्मि से,
अपनी प्रतिभा जगाओ,
अपने सूर्य.....
जहां पर ब्रम्हज्ञानी जाते हैं,
त्याग तपस्या अपनाते हैं,
जागो अपने पौरुष से तुम,
अंतर दीप जलाओ,
अपने सूर्य.....