अरे माली जगह खाली,
लगा दे फूल की डाली॥
जब भंवरा आकर बैठेगा,
खुशी से वो गुनगुनाएगा,
कभी इस फूल कभी उस फूल,
वो भंवरा पंख फैलाएगा,
अरे माली......
कलियाँ जब मुँह खोलेगी,
तब माला मैं पुरोऊँगी,
गले में भगवन के,
मैं हाथों से पहनाऊँगी,
अरे माली......
सिंहासन जब लगाऊँगी,
मैं फूलों से सजाऊँगी,
चमेली गेंदा और गुलाब,
खुश्बू निराली आएगी,
अरे माली......
श्रृंगार जब करेंगे भगवन,
मैं फूलों में छिप जाऊंगी,
नजारा अपने भगवन का,
मैं फूलों से ही निहारुंगी,
अरे माली......