मेरे मोहन बाबा
मेरे मोहन बाबा आजा,
मेरे मोहन बाबा आजा,
कुटिया में गरीब की,
तू खोल दे कुंडी आकर,
मेरे नसीब की
मेरे मोहन बाबा आजा।
तेरे दर पे चलते चलते,
मैं हार गयी देखो,
इतने दुखो की कठिन परीक्षा,
मार गयी देखो,
कहीं दवा मिले ना बाबा,
तेरे मरीज की,
तू खोल दे कुंडी आकर,
मेरे नसीब की
मेरे मोहन बाबा आजा।
भादो के महीने में बाबा,
तेरा मेला भारी है,
दर्शन को जाते बाबा,
लाखो नर नारी है
तुम सुनलो विनती बाबा,
मुझ बदनसीब की,
तू खोल दे कुंडी आकर,
मेरे नसीब की
मेरे मोहन बाबा आजा।
तुम हो बड़े महान बाबा,
सबके हितकारी,
दुखड़े उसी के दूर करते,
जो हो भिखारी
सहदेव शर्मा ने देखी है,
कृपा अजीब सी,
तू खोल दे कुंडी आकर,
मेरे नसीब की,
मेरे मोहन बाबा
मेरे मोहन बाबा आजा,
मेरे मोहन बाबा आजा,
कुटिया में गरीब की,
तू खोल दे कुंडी आकर,
मेरे नसीब की
मेरे मोहन बाबा आजा।