करले चिंतन छोड़ दे चिंता,
सब उसके है हाथ,
बैठा है वो चिंता हरन को,
सदा ही तेरे साथ,
करले चिंतन छोड़ दे चिंता......
चिंता बनती चिता का कारण,
करले तनिक विचार,
एक बार मन की व्यथा सब कहदे,
जाकर उसके द्वार,
हर लेगा सारी पीड़ा,
जो धर दिया सर पे हाथ
बैठा है वो चिंता हरन को,
सदा ही तेरे साथ,
करले चिंतन छोड़ दे चिंता.....
बड़ा दयालु है कृपालु,
है वो सब सुखों का सार,
जा चरण में उसकी शरण में,
करता है सबसे प्यार,
एक अगोचर है सबका स्वामी,
है सब दीनों का नाथ,
राजीव कहे तन की अपने मन की,
बिगड़ी बनेगी बात,
कह तन की तू अपने मन की,
तेरी बिगड़ी बनेगी बात,
बैठा है वो चिंता हरन को,
सदा ही तेरे साथ,
करले चिंतन छोड़ दे चिंता.....