भाद्रिनाथ जय जय भाद्रिनाथ,
भक्ति भजन में चित रमे तो समय की किस को ध्यान,
दिन कट जाएँ पलों के सामान ।
भज मन नारायण नारायण नारायण, भाद्रिनारायण नारायण नारायण ।
जिस ने दिया यह जीवन, उस प्रभु का करले सुमिरन,
तेरी अधूरी आशा इसी द्वारे पे होगी पूरण ।
भाद्रिनाथ के चरणों में अर्पण कर दे मन और प्राण ॥
बन कर राम पधारे, कभी बन गए कृष्ण मुरारी,
जन हित नारायण ने सदा अलग अलग छबी धारी ।
जब जब भीड़ पड़ी भगतों पर, प्रगटे दया निधान ॥
तुलसी सूर कबीर और दर्श दीवानी मीरा,
भक्ति भजन में खो के वो तो पा गए मुक्ति का हीरा ।
नाम प्रभु का सार जगत में, कह गए संत महान ॥